हंडिया न्यूज देश में मुख्य तौर पर कश्मीर में ही केसर की पारंपरिक खेती होती है, लेकिन अब नई तकनीक वाली खेती से अनुकूलित वातावरण तैयार कर कहीं भी इसकी खेती संभव हो गई है. इसी क्रम में मध्य प्रदेश के हरदा जिले के तहसील हंडिया के किसान के बेटे ने इंदौर में अपने घर को ‘मिनी कश्मीर’ बनाकर एरोपोनिक तकनीक से केसर की खेती शुरू की है. तीन महीने में ही दंपती की मेहनत रंग लाने लगी है. केसर के फूल खील गए हैं और धागे भी तैयार होना शुरू हो गए है. इंदौर की नई खिजराबाद कॉलोनी में रहने वाले सैय्यद फरहान अली ने अपने घर पर अनुकूल वातावरण तैयार कर केसर की फसल उगाने के बारे में बताते हुए कहा कि उनका परिवार पारंपरिक रूप से हरदा जिले के हण्डिया गांव में खेती से जुड़ा हुआ है. वे कुछ समय पहले कश्मीर घूमने गए थे, जहां उनहोंने केसर की खेती होते हुए देखी तो उनके मन में भी इसकी खेती का विचार आया । मध्य प्रदेश में केसर की खेती का एक सफल डेमो सैय्यद फरहान अली और उनके परिवार ने इंदौर में एरोपोनिक्स (बिना मिट्टी के) विधि से किया है। इसके लिए उन्होंने एक बंद कमरे में ग्रीनहाउस बनाकर लगभग साढ़े तीन लाख रुपये की लागत से एक सौ पचास किलो बीज मंगवाए। सितम्बर में रोपाई के बाद उन्होंने पौधों को जैविक तरीके से संभाला और नवम्बर तक पहला फूल आ गया, जिससे लगभग एक किलोग्राम केसर मिलने की उम्मीद बताई जा रही है। उनके इस सफल परीक्षण पर शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए लघु उद्योग भारती संगठन जिलाध्यक्ष अभय जैन एवं जर्नलिस्ट काउंसिल ऑफ इंडिया मध्यप्रदेश सहप्रभारी मुईन अख्तर खान ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।










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